Wednesday, November 3, 2010

Aankhein Thi Yaa......

आँखें थी या......


आँखें थी या झीलों की शहर
मैं इनमें ढूंढता रहा अपनी तस्वीर
और मानता रहा तुमको अपनी तकदीर
हैं  खुदा, क्यूँ मेरे दिल को लगा इतना बड़ा तीर

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